Monday, 18 September 2017

मसखरे


हम मसखरे हैं साहब, हमें मसखरे रहने दो,
हमारे इश्क़ की इब्तदा मत बनो,
हम हँसते हैं कुछ पल, हंसो, फिर चलते बनो,
हम मसखरे हैं साहब हमें मसखरे रहने दो,



कब हमारे हक़ में फैसले हुए है,
फिर भी तुम्हारी उम्मीदों पर देखो हम खरे हैं,
मेरे फर्ज की इन्तहा मत बनो,
हम मसखरे हैं साहब हमें मसखरे रहने दो।

दिल एक दर्द भरा दरिया था तुम्हारा,
खुशियों से भरा, रंगों का पिटारा दिल हमारा,
तुम भी कुछ रंग ले कर खुद को भरो, फिर चलते बनो
हम मसखरे हैं साहब हमें मसखरे रहने दो।

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