Monday, 18 September 2017

पत्थर

Picture credits : @pixabay
बचपन से देख रहा हूँ, ये पत्थर यूँ ही पड़े हैं,
कुछ बिखरे कुछ खड़े हैं,
दिन दिन मैं बूढ़ा हुआ जाता हूँ, पर
ये पत्थर दिन दिन जवान हुए जाते हैं,
नए रंग रोगन नई सिलें,

बरसों से ये सिर्फ जवान ही हो रहे हैं,
अपनी तादाद बढ़ाते जा रहे हैं,
प्रतीत होता है, कामुकता का कुछ नया ही रूप लिए है,
एक वही पत्थर का चारदीवारी नुमा चेहरा था,
सारा टब्बर पल गया था,
अचानक पत्थर को पत्थर हुआ और वो चेहरा
दो चेहरों में बंट गया,
वो तो पत्थर पत्थर था, सारा टब्बर पत्थर हो गया,
इस गति से बढ़ रहा है पत्थर,
मेरे देखे देखे मैंने सबको खाक होते देखा है,
और उससे भी खूबसूरत तो ये की मैंने
उन्हें पत्थर होते देखा है,
कमाल की बात है,
कुछ पत्थर खाक हो गए है, पर
अनेकों पत्थर रंग रोगन लगाए,
नए चेहरे बनाने में लगे है,
ये सूचना है, आज जो पत्थर आप जोड़ गए,
ये बरसों तक आपकी पीढ़ी को
पत्थर बनाए रखेंगे, और ये की
आप और आपका नामोनिशान इस धरती से मिट जाएगा,
पर आपके पत्थर यूँ ही खड़े रहेंगे,
अटल, आप पर हंसते हुए।
धन्यवाद

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