Sunday, 11 October 2015

साथी

चलो साथी आज कुछ नया कर लेते है
एक धूप का टुकड़ा चुन लेते हैं
फिर उसको अपने दिल में रख लेते हैं 
और उससे अपना अंतःस्थल चमका लेते है

आओ उन सारे फूलों के कुछ रंग चुरा लेते हैं
और जीवन पटल पर नया एक चित्र बना लेते हैं
आओ इस हरियाली से एक नया पाठ लेते हैं
जीने की स्वायत्तता को अपना धर्म बना लेते हैं

चींटियों के कदमो की तालो को देख लेते हैं
फिर एकदूजे के साथ कदम से  कदम मिला चल लेते हैं
देखो साथी कोई अकेला न रह  जाए कही
आओ अपने नूर से उन सब का जग रोशन कर लेते हैं।

No comments:

Post a Comment

Vigilant India, Prosperous India

  The prosperity of a country, in my opinion, is not linked to a few people who are earning billions and adding to per capita income which i...