चलो साथी आज कुछ नया कर लेते है
एक धूप का टुकड़ा चुन लेते हैं
फिर उसको अपने दिल में रख लेते हैं
आओ उन सारे फूलों के कुछ रंग चुरा लेते हैं
और जीवन पटल पर नया एक चित्र बना लेते हैं
आओ इस हरियाली से एक नया पाठ लेते हैं
जीने की स्वायत्तता को अपना धर्म बना लेते हैं
चींटियों के कदमो की तालो को देख लेते हैं
फिर एकदूजे के साथ कदम से कदम मिला चल लेते हैं
देखो साथी कोई अकेला न रह जाए कही
आओ अपने नूर से उन सब का जग रोशन कर लेते हैं।
No comments:
Post a Comment