मेरे विचार जिन्होंने मुझे कुरेदा कुछ लिखने को, जो कलम के माध्यम से व्यक्त हो सकीं वे सभी रचनाएँ ही हैं : स्याहीरचना
Sunday, 26 November 2017
Saturday, 25 November 2017
देवदूत और हंसी
टालस्टाय ने एक छोटी सी कहानी लिखी है। मृत्यु के देवता ने अपने एक दूत को भेजा पृथ्वी पर। एक स्त्री मर गयी थी, उसकी आत्मा को लाना था।
देवदूत आया, लेकिन चिंता में पड़ गया। क्योंकि तीन छोटी-छोटी लड़कियां जुड़वां–एक अभी भी उस मृत स्त्री से लगी है। एक चीख रही है, पुकार रही है। एक रोते-रोते सो गयी है, उसके आंसू उसकी आंखों के पास सूख गए हैं–तीन छोटी जुड़वां बच्चियां और स्त्री मर गयी है, और कोई देखने वाला नहीं है। पति पहले मर चुका है। परिवार में और कोई भी नहीं है। इन तीन छोटी बच्चियों का क्या होगा?
Thursday, 26 October 2017
आज नहीं तो कल, परमात्मा मिल ही जाएगा।
आज नहीं तो कल, परमात्मा मिल ही जाएगा। ढूंढने की शक्ति कमजोर न पड़ जाए। तुम कमजोर न पड़ जाना। मैंने एक कहानी सुनी थी। ओशो ने कही है। उन्ही के शब्द इस्तेमाल किये हैं मैंने। यह कहानी एक सूफी फ़कीर की है। एक मस्तमौला व्यक्ति जिसे एक चोर में गुरु मिला। वह गुरु जिसने अपने कृत्यों से परमात्मा तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त किया। वह जिसने हार के भी परमात्मा को पाने की इच्छा न छोड़ी। आइए पढ़ें ये कहानी :
Saturday, 21 October 2017
नास्तिक से धर्म को खतरा है, यह गलत बात है।
निरंजन! नास्तिक से खतरा है, ऐसा लोग सोचते रहे हैं। लेकिन मैं तुमसे कहता हूं, नास्तिक से धर्म के लिए कोई खतरा नहीं है। नास्तिक तो वस्तुतः धर्म की तलाश में लगा है। नास्तिक तो इतना ही कह रहा है कि अभी मैंने देखा नहीं, जाना नहीं, तो मानूं कैसे? नास्तिक तो सिर्फ अपनी ईमानदारी जाहिर कर रहा है। इसलिए सदियों-सदियों में जो तुमसे कहा गया है कि नास्तिक से धर्म को खतरा है, वह गलत बात है।
Wednesday, 18 October 2017
दीपावली, पटाखे और कम्बख्त सुप्रीम कोर्ट
वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए 9 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि यह काम प्रशासन का है कि वह यह देखें कि क्या चीजें हमारे वातावरण को प्रदूषित कर रही हैं और किन चीजों पर प्रतिबंध लगा कर हम बड़े खतरों से आसानी से बच सकते हैं। परंतु आप सभी इस बात से परिचित होंगे कि हमारा प्रशासन अभी हिन्दू मुसलमान, गरीब अमीर के मुद्दे में ज्यादा व्यस्त है। और ये मुद्दे अपने आप में इतने ज्वलंतशील हैं कि इन्हीं से अपनी चिलम सुलगाकर अधिकारी लोग अपना अधिकतर वक्त गुजारते हैं।
Tuesday, 17 October 2017
राम तुम कब जागोगे
हर साल हम दशहरे में अधर्म पर धर्म की जीत दिखाते हैं, हर साल रावण जलाते हैं, हर साल हम अधर्म का विनाश करते हैं राम के उस बाण से, लगभग हर साल हम ये रामलीला का स्वांग रचते हैं। पर हर साल की तरह ये रावण इस साल भी अपना सर उसी तरह उपर कर के खड़ा है। इस साल भी रावण हमारी प्रिय एवं माता स्वरूप सीता को हरने में सफल रहा। इस साल भी रावण राम को छलने में कामयाब रहा। इस साल भी राम का चित्त नहीं जागा, वह सीता का अपहरण नहीं रोक सके।
Subscribe to:
Posts (Atom)
Vigilant India, Prosperous India
The prosperity of a country, in my opinion, is not linked to a few people who are earning billions and adding to per capita income which i...
-
साधो, देखो जग बौराना । साँची कही तो मारन धावै, झूठे जग पतियाना । हिन्दू कहत,राम हमारा, मुसलमान रहमाना । आपस में दौऊ लड़ै मरत ह...
-
हर साल हम दशहरे में अधर्म पर धर्म की जीत दिखाते हैं, हर साल रावण जलाते हैं, हर साल हम अधर्म का विनाश करते हैं राम के उस बाण से, लगभग हर ...
-
एक दिन मैं कहीं बस में यात्रा कर रहा था। अम्बाला से कुरुक्षेत्र की और जा रहा था। उम्र यही कोई २२ साल थी। थोड़ी फुर्ती थी जब बस आई बस स्टॉ...